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जिले के बारे में

प्रयागराज भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है। यह प्राचीन ग्रंथों में ‘प्रयाग’ या ‘तीर्थराज’ के नाम से जाना जाता है और इसे भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। यह तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है। समागम-बिंदु को त्रिवेणी के रूप में जाना जाता है और यह हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र है। प्रयागराज में प्रत्येक छः वर्षों में कुंभ और प्रत्येक बारह वर्षों में महाकुंभ, इस धरती पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा आयोजन है।

ऐतिहासिक रूप से, प्रयागराज शहर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा –  1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उभरने, 1920 के दशक में महात्मा गांधी की अहिंसा आंदोलन की शुरुआत।

भौगोलिक दृष्टि से, प्रयागराज उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में 25.45 डिग्री उत्तर तथा 81.84 डिग्री पूर्व पर स्थित है। इसके दक्षिणी और दक्षिण पूर्व में बागेलखण्ड क्षेत्र, पूर्व में मध्य गंगा घाटी या पूर्वांचल, दक्षिण-पश्चिम में बुंदेलखंड क्षेत्र, उत्तर और उत्तर-पूर्व में अवध क्षेत्र है। पश्चिम में कौशाम्बी के साथ प्रयागराज दोआब बनाता है जिसे निछला दोआब क्षेत्र कहते हैं। प्रयागराज के उत्तर में प्रतापगढ़, पूर्व में संत रविदासनगर, दक्षिण में रीवा (म०प्र०) तथा पश्चिम में कौशाम्बी स्थित हैं। जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्र 5482 वर्ग मीटर किमी है । जिले को 8 तहसील, 20 विकास खंड में विभाजित किया गया है।