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खुसरो बाग़

दिशा

खुसरोबाग एक विशाल ऐतिहासिक बाग है, जहां जहांगीर के बेटे खुसरो और सुल्तान बेगम के मकबरे स्थित हैं। चारदीवारी के भीतर इस खूबसूरत बाग में बलुई पत्थरों से बने तीन मक़बरें मुग़ल वास्तुकला के बेहतरीन उदहारण हैं। इसके प्रवेश द्वार, आस-पास के बगीचों और सुल्तान बेगम के त्रि-स्तरीय मक़बरे की डिज़ाइन का श्रेय आक़ा रज़ा को जाता है, जो जहांगीर के दरबार के स्थापित कलाकार थे।

इस मक़बरे के ऊपर एक विशाल छतरी है, जो मजबूत स्तंभों पर टिकी हुई है। बेगम के मक़बरे के बगल में स्थित है खुसरो की बहन निथार का मक़बरा। वास्तुशिल्प के लिहाज़ से देखें तो यह तीनों मक़बरों में सबसे ज्यादा खूबसूरत है। हालांकि निथार का मक़बरा भीतर से खाली है, उसमे निथार की कब्र नहीं है। यह एक ऊंचे से चबूतरनुमा ढांचे पर बना है। इसकी ख़ूबसूरती कँगूरेदार तख्तियों से और बढ़ती है। स्तंभों की चौकियों के नीचे बने हुए है शानदार कमरें, जिनकी छतें चांद-तारों की पेंटिंग्स से सजाई गई हैं। सेंट्रल रूम की दीवारों पर फूलों की डिज़ाइन उकेरी हुई है। इसके अलावा पर्शियन सनोवर, शराब के प्याले और अन्य डिज़ाइन भी हैं।

अंतिम मक़बरा पड़ता है खुसरो का। अपने पिता जहांगीर के प्रति विद्रोह करने के बाद खुसरो को पहले इसी बाग में नज़रबंद रखा गया था। यहां से भागने के प्रयास में खुसरो मारा गया। कहते हैं यह आदेश खुसरो के भाई और जहांगीर के तीसरे बेटे खुर्रम ने दिया था। बाद में खुर्रम गद्दी पर बैठा और बादशाह शाहजहां के नाम से जाना गया।

फोटो गैलरी

  • सुल्तान बेगम का मकबरा
  • निथार एवं ख़ुसरो का मक़बरा
  • तामारलन का मकबरा

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

बमरौली एअरपोर्ट, प्रयागराज - 6 कि०मी०; लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट, वाराणसी - 150 कि०मी०; अमौसी अंतर्राष्ट्रीय एअरपोर्ट, लखनऊ - 200 कि०मी०

ट्रेन द्वारा

प्रयागराज जंक्शन -1 कि०मी० प्रयाग स्टेशन - 8 कि०मी० रामबाग स्टेशन - 5 कि०मी०

सड़क के द्वारा

सिविल लाइन्स बस स्टैंड - 4 कि०मी०